मकर संक्रांति क्यों मनाया जाता है? Why Is Makar Sankranti Celebrated?
मकर संक्रांति को माघी के नाम से भी जाना जाता है। हिंदुओं द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता है। यह त्यौहार प्रत्येक वर्ष 14 जनवरी को मनाया जाता है। कभी – कभी 13 जनवरी या 15 जनवरी को भी यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन से सुर्य मकर राशि मे प्रवेश करते है। हिन्दूओं के लिए मकर संक्रांति से शुभ दिन शुरू होता है। इसी दिन का इंतजार भिष्म पितामह शर शय्या पर लेट कर किये थे। हिंदू परंपरा के अनुसार, मकर संक्रांति के दिन से छह महीने की शुभ अवधि सुर्य के उत्तरायण होने की अवधि का शुरुआत होता है।
मकर संक्रांति का उत्सव Celebration Of Makar Sankranti
यह त्योहार पूरे भारत मे अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। इस त्योहार का खास पहलू यह है कि यह त्योहार उन प्राचीन त्योहारों में से एक है जो हिंदूओं द्वारा सौर चक्र के नियमों के अनुसार मनाया जाता है।
हिंदूओं का ज्यादातर त्योहार चंद्र कैलेंडर के अनुसार मनाते हैं। यह त्यौहार चूंकि सौर चक्र के नियमों पर आधारित है इसलिए यह त्योहार ग्रेगेरियन कैलेंडर पर एक ही तारीख 14 जनवरी को आता है। कुछ साल ऐसे होते हैं जब यह तारीख एक दिन में ही बदल जाती है। मकर संक्रांति सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है। इस त्योहार को विभिन्न क्षेत्रों में अलग-अलग नामों से जाना जाता है तथा मनाया जाता है।
उत्तर भारत के कुछ भाग मे इस त्योहार को लोहड़ी के रूप मे मनाया जाता हैं, मध्य भारत में इसे सुकरात के नाम से जाना जाता है। असम में इस त्योहार को भोगली बिहू कहते हैं। तमिलनाडु और दक्षिण भारत मे इसे पोंगल कहा जाता हैं।
मकर संक्रांति त्योहार कैसे मनाया जाता है? How Is Makar Sankranti Festival Celebrated?
उत्तरी भारत मे लोग गंगा नदी मे सुबह स्नान करते है। सुबह या दिन के समय दही और चिड़वा गुड़ या चीनी और शब्जी के साथ खाते है और रात को खिचड़ी खाते है। कुछ भाग मे लोग नए या साफ कपड़े पहनते हैं और घर का बना स्वाद पसंद भोजन करते हैं।आमतौर पर गुड़ और तिल से बना होता हैं। कुछ हिस्सों में खिचड़ी भी खाई जाती है। तमिलनाडु में, इस त्योहार को पोंगल के रूप में जाना जाता है और चावल को ताजे दूध और गुड़ के साथ पका कर खाते है। पकाने मे काजू, , किशमिश और बादाम आदि डालते है।
इस त्योहार के खुशी मे मेला, नृत्य, दावत देना और पतंग उड़ाया जाता है। रामायण और महाभारत में भी माघ मेला का उल्लेख किया गया है। यह त्योहार 5000 वर्षों से भी ज्यादा समय से मनाया जाता है। इस दिन, बहुत से लोग नदियों और झीलों मे नहाते है और सूर्य देव का अर्घ देकर पूजा करते है।
मकर संक्रांति के अवसर पर कई मेले लगते हैं। उनमें से सबसे प्रसिद्ध मेला कुंभ का मेला है जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों हरिद्वार, प्रयाग (इलाहाबाद), उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है। प्रयाग राज में हर साल आयोजित होने वाला माघ मेला (मिनी-कुंभ मेला), गंगासागर मेला, झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में टुसू मेला, उड़ीसा आयोजित होने वाला मकर मेला आदि इस अवसर पर लगने वाले मुख्य मेलों मे से है। कुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े सामूहिक तीर्थों में से एक है। एक अनुमान के अनुसार लगभग 40 से 100 मिलियन लोग इस मेले मे भाग लेते हैं।
इस आयोजन के दौरान श्रद्धालू एक प्रार्थना करते हैं जो सूर्य देव को समर्पित है। इसके बाद स्नान करते है। यह आयोजन प्रयाग राज (इलाहाबाद) मे होता है। यहां पर गंगा , यमुना और सरस्वती नदी का संगम है। इन नदियों को ईश्वरीय दर्जा मिला है। ऐसा कहा जाता है कि कुंभ मेला का शुभारम्भ आदि शंकराचार्य नामक एक ऋषि किये थे।
मकर संक्रांति का दिन शुभ दिन है। इसलिए लोग गरीबों और वंचितों को दान देते है। कुछ लोग ब्राह्मण भोजन भी करवाते है।