कमलेश तिवारी के हत्या का कारण Reason For Kamlesh Tiwari’s Murder
कमलेश तिवारी एक राजनेता और हिंदू राष्ट्रवादी कार्यकर्ता थे। वे सन् 2017 में हिंदू समाज पार्टी का स्थापना किये थे। तिवारी ने इस्लाम के संस्थापक मुहम्मद साहब की आलोचना किये थे। उनके विचारों को कुछ भारतीय मुसलमान अपमानजनक माने थे। यू. पी. के समाजवादी पार्टी के मुस्लिम नेता आज़म खान, हिंदू आरएसएस के सदस्यों को समलैंगिक कहा था। इसी बयान पर तिवारी ने पलटवार किये थे कि मुहम्मद पहले समलैंगिक थे। दिसंबर 2015 की शुरुआत में तिवारी के इस बयान से मुस्लिम भड़क गए थे। उनके बयान के वजह से 18 अक्टूबर 2019 में, लखनऊ में उनके घर पर हत्या कर दिया गया। हत्या के लिए पिस्तौल सूरत से खरीदी गई थी और हत्या का योजना दुबई में बनाया गया था।
कमलेश तिवारी सन् 2012 में चुनावी राजनीति में उतरे वे उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव लखनऊ से लड़े लेकिन हार गए। तिवारी अपने को हिंदू महासभा का कार्यकारी अध्यक्ष मानते थे लेकिन यह दावा हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणि द्वारा विवादित था। तिवारी ने 2017 में हिंदू समाज पार्टी का स्थापना किये थे। तिवारी 2019 में आम चुनाव फैजाबाद से लड़े, लेकिन हार गए।
मुहम्मद पर टिप्पणी Comment On Muhammad
2 दिसंबर 2015 को, समाजवादी पार्टी के एक वरिष्ठ मुस्लिम नेता आज़म खान ने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य समलैंगिक हैं इसीलिए वे शादी नहीं करते हैं। अगले दिन, कमलेश तिवारी ने आजम खान के बयान का जवाब देते हुए कहा था कि मुहम्मद साहब दुनिया में पहले समलैंगिक थे। जी न्यूज़ के अनुसार, मुजफ्फरनगर में लगभग 100,000 मुसलमानों ने तिवारी के लिए मृत्युदंड के लिए मांग की थी कुछ मुसलमान ऐसा भी कहे थे कि मुहम्मद साहब का अपमान करने के लिए तिवारी का सिर कलम किया जाए। कुछ कट्टर पंथी कमलेश तिवारी के सर कलम करने का ईनाम का घोसड़ा भी किये थे। तत्कालीन समाजवादी पार्टी सरकार ने 3 दिसंबर 2015 तिवारी को लखनऊ में गिरफ्तार किया था। उनके बयान के खिलाफ भारत के कई जगह इस्लामी समूहों द्वारा विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया था। जिनमें से अधिकांश तिवारी की फांसी देकर मौत की मांग कर रहे थे।
मुहम्मद पर अपनी टिप्पणी के लिए तिवारी ने कई महीने जेल में बिताए। आईपीसी की धारा 153-ए (धर्म के आधार पर समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना और सद्भाव के रखरखाव के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण कार्य करना) और 295-ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, किसी भी वर्ग के धार्मिक भावनाओं को अपमानित करने के उद्देश्य से किया जाना) उनके खिलाफ नाका हिंडोला पुलिस स्टेशन, लखनऊ में FIR दर्ज किया गया था। राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत समाजवादी पार्टी की अगुवाई वाली उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा तिवारी को हिरासत मे लिया गया बाद में 2016 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा निरस्त कर दिया गया था और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
कमलेश तिवारी का मौत Death of Kamlesh Tiwari
18 अक्टूबर 2019 को, लखनऊ में तिवारी का कार्यालय जहाँ उनका निवास भी है, दो अज्ञात लोगों द्वारा गला रेत कर हत्या कर दिया गया। हत्यारे सूरत से खरीदा हुआ दिवाली का मिठाई देने के लिए आए थे। तिवारी के सहयोगी सौराष्ट्रजीत सिंह को उनके लिए सिगरेट लाने के लिए भेज दिया गया था और जब वे लौटे तो उन्होंने पाया कि तिवारी की हत्या हो गई है और हत्यारे फरार है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, एक हमलावर उनका गला काटा, जबकि दूसरे ने उस पर गोली चलाई। अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में ले जाया गया जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
इससे पहले गुजरात आतंकवाद निरोधक दस्ते द्वारा 2 ISIS संदिग्धों को हिरासत में लिया गया। वे स्वीकार किये कि वे 2017 में कमलेश तिवारी को मारना चाहते थे। अल-हिंद ब्रिगेड समूह ने तिवारी की मौत की जिम्मेदारी लिया है । उन्होंने यह भी कहा कि जो कोई भी इस्लाम के विरुद्ध बोलेगा उसका ऐसा ही हाल होगा । 19 अक्टूबर 2019 तक, तिवारी की हत्या में शामिल छह आरोपियों को सूरत पुलिस, गुजरात एटीएस और यूपी पुलिस ने हिरासत में लिया है। पुलिस ने उधना, सूरत में धरती मिठाई मार्ट के सीसीटीवी फुटेज हासिल करने में कामयाबी हासिल की, जहां से हत्यारे मिठाई का पैकेट खरीदा थे।