देवी दुर्गा का निर्माण और किंवदंतियां Creation Of Goddess Durga And Legends
देवी दुर्गा दुष्टता और बुराई की ताकतों के खिलाफ सभी दिव्य शक्तियों का एक संयुक्त ताकत का प्रतिनिधित्व करती है। स्वर्ग के देवताओं ने राक्षसो के राजा महिषासुर को मारने के लिए एक शक्ति बनाने का फैसला किया जो उन पर हमला करे और विजय हासिल करे । उस समय ब्रह्मा, विष्णु, महेश, इन्द्र, वरूण, यमराज, सुर्य और चन्द्रमा आदि देवताओ से ज्योत निकली और सभी ज्योत मिलकर दस हाथों वाली एक तेजस्वी, खूबसूरत और शक्तिशाली महिला बन गई। इसके बाद सभी देवताओं ने उन्हें अपना विशेष हथियार दिया। उनका नाम दुर्गा पड़ा। माता दुर्गा महिषासुर का युद्ध मे बध किया।
महाभारत मे वर्णन Description In The Mahabharata
महाकाव्य महाभारत के अनुसार, पांडवों ने 12 वर्षों तक जंगल में घूमने के बाद, राजा विराट की सभा मे आने से पहले शमी पेड़ पर अपने हथियारों को लटका कर छुपा दिया, ताकि वे एक साल तक राजा विराट के यहां व्यतीत कर सकें। उस वर्ष के समापन के बाद विजयदशमी (दशहरा) के दिन उन्होंने शामी के पेड़ से हथियार नीचे लाए और अपना असली पहचान घोषित किये। उस दिन से दशहरा दिवस पर शमी के पत्तियों का आदान-प्रदान अच्छा और जीत का प्रतीक बन गया।
भगवान राम से जुड़ी कहानी Story Related To Lord Rama
रामायण के अनुसार, रामचन्द्र जी ने रावण जो सीता का अपहरण कर लिया था। उसे मारने से पहले चंडी पूजा किये और लंका के राजा रावण को मारने के लिए दुर्गा को आह्वान किया। दुर्गा ने राम को गुप्त बात बताया कि वह रावण को कैसे मार सकते है। दशहरा के दिन रामचन्द्र जी रावण को मारकर , सीता और लक्ष्मण के साथ दिवाली के दिन अयोध्या वापस आये।
कौत्स Kauts
देवदत्त के युवा पुत्र कौत्स ने अपनी शिक्षा समाप्त करने के बाद अपने गुरु वाराटंतु को “गुरुदक्षिणा” स्वीकार करने के लिए जोर दिया। गुरु से आखिर में 14 करोड़ सोने के सिक्कों के लिए पूछा गया, उन्होंने 14 विज्ञानों की शिक्षा के बदले गुरुदक्षिणा मे प्रत्येक के लिए एक करोड़ सोने के सिक्कों देने के लिए कहा गया। कौत्स राजा रघुराज के पास गए, जो राम जी के पूर्वज थे। लेकिन उस समय उन्होंने विश्वजीत करने के बाद ब्राह्मणों पर अपने सभी खजाने को खाली कर दिया था। तो, राजा भगवान इंद्र के पास गये और सोने के सिक्कों के लिए पूछा। इंद्र ने धन के देवता कुबेर को बुलाया। इंद्र ने कुबेर से कहा, “रघुराज के अयोध्या शहर के चारों ओर सोने के सिक्कों की बारिश कर दो। सिक्कों की बारिश होनी शुरू हुई। राजा रघु ने सभी सिक्कों को कौत्स को दिया, उसके बाद अपने गुरु को 14 करोड़ सोने के सिक्के दिए। शेष सिक्के अयोध्या शहर के लोगों मे बांट दिया गया। यह घटना दशहरा के दिन ही हुआ था।
दुर्गा पूजा उत्सव का इतिहास और उत्पत्ति History And Origin Of Durga Puja Festival