गणेश चतुर्थी की कहानी History Of Ganesh Chaturthi
गणेश चतुर्थी का त्योहार उत्साह और भक्ति के साथ मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में से एक हैं। यह त्यौहार ज्ञान और समृद्धि के देवता भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप मे मनाया जाता है। इस त्यौहार को विनायक चतुर्थी भी कहा जाता है। यह दिन, हिंदू धर्म में सबसे शुभ माना जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी का इतिहास History of Ganesh Chaturthi
मराठा शासनकाल में गणेश चतुर्थी के त्यौहार का उत्पत्ति हुआ। छत्रपति शिवाजी यह त्यौहार शुरू किये। यह त्योहार भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र गणेश के जन्म दिन के रूप मे मनाया जाता है। भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी विभिन्न कहानियां हैं। सबसे प्रासंगिक कहानी यहां साझा किया जा रहा है। गणपति के निर्माता देवी पार्वती थे। वे भगवान शिव की अनुपस्थिति में, गणेश बनाने के लिए चंदन के पेस्ट का इस्तेमाल करती थीं और सुरक्षा का जिम्मेदारी दे कर स्नान करने के लिए चली जाती थीं। एक दिन जब वे स्नान करने गई, भगवान शिव आ गये। गणेश जी अपने माता के आदेश के अनुसार उनको अन्दर जाने से रोक दिया। जिस वजह से शिव जी के साथ लड़ाई हो गया। गुस्सा मे भगवान शिव गणेश जी के सिर काट दिये। जब पार्वती जी ने गणेश जी का सिर कटा हुआ देखा तो , उन्होने देवी काली का रूप ले लिया और दुनिया को नष्ट करने की धमकी दी। सभी देवता चिंतित हो गये और भगवान शिव से इस समम्या का समाधान खोजने और देवी काली के क्रोध को शांत करने का अनुरोध किया। तब शिव जी ने अपने सभी अनुयायियों को तत्काल एक बच्चा ढूंढने और उसका सिर लाने का आदेश दिया जिसकी मां लापरवाही से अपने बच्चे की ओर पीठ करने लेटी हो। अनुयायियों द्वारा देखा गया कि एक हथिनी अपने बच्चे को पीठ के पीछे लिटा कर सोयी है। भगवान शिव के आदेशानुसार उन्होंने हाथी के बच्चे का सिर काट दिया और भगवान शिव को लाकर दे दिया। भगवान शिव ने तुरंत गणेश के गर्दन पर सिर रखा और गणेश जी को जीवीत कर दिये । मां काली का क्रोध शांत हो गया और देवी पार्वती एक बार फिर अपने रूप मे आयीं। सभी देवतओ ने गणेश जी को आशीर्वाद दिया।
गणेश चतुर्थी का पूजन Worship of Ganesh Chaturthi
गणेश पूजन घर में भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्ति स्थापित करने से शुरू होता है। भोग (प्रसाद) के लिए विभिन्न प्रकीर के व्यंजन पकाए जाते हैं। मूर्ति को शुद्ध पानी से स्नान करा कर फूलों से सजाया जाता है। ज्योत जलाकर आरती किया जाता है। इस समय भजन गाया जाता है और मंत्रों का जप किया जाता है। यह माना जाता है कि इस अवधि के दौरान, गणेश जी अपने भक्तों के घर जाते हैं और उनके घर मे समृद्धि लाते हैं। इसी कारण इस दिन को बहुत शुभ दिन के रूप में मनाया जाता है। यह भी माना जाता है कि इन दिनो गणपति यंत्र की पूजा करने से आपके जीवन में बड़ी सफलता मिलती है।
गणेश चतुर्थी का उत्सव Celebration of Ganesh Chaturthi
इस त्यौहार का लगभग एक महीने पहले से तैयारी शुरू होती है। उत्सव करीब दस दिनों तक (भद्रपद चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक) रहता है। पहले दिन भगवान गणेश की मिट्टी का मूर्ती घरों में स्थापित किया जाता है। घर को फूलों से सजाया जाता हैं। मंदिरों में बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ होती है। मंदिरो मे पूजा की जाती है और भजन गाया जाता है। त्यौहार मनाने के लिए परिवार के लोग इकट्ठे होते हैं। स्थानीय लोग पंडालों को व्यवस्थित रूप से सजाते है। भगवान गणेश की बड़ी मूर्तियों को मित्रों और परिवार के साथ त्यौहार मनाने के लिए स्थापित करते हैं। समारोह के अंतिम दिन, भगवान गणेश की मूर्ती साथ लेकर सड़कों पर विसर्जन के लिए जुलुस निकालते है। लोग मूर्ति के साथ सड़कों पर नृत्य करते हुए भजन गाते हुए उत्साह और खुशी का प्रदर्शन करते हैं। अंत मे मूर्ति को नदी या समुद्र में विसर्जित कर देते है।
महोत्सव का व्यंजन Dishes Of The Festival
यद्यपि पूजन के समय भगवान गणेश को कई तरह की मिठाईयां चढ़ाई जाती है, लेकिन मोदक भगवान गणेश की पसंदीदा मिठाई माना जाता है इसलिए इस दिन मुख्य व्यंजनों में से एक मोदक है। अन्य मिठाईयों मे करनजी, लड्डू, बर्फी और पेड़ा शामिल हैं।