नागरिकता अधिनियम में संशोधन कैसे लाभकारी है। How Amendments Of Citizenship Act Is Beneficial





How Amendments Of Citizenship Act Is beneficial

सरकार नागरिकता अधिनियम में संशोधन क्यों किया। यह पाकिस्तान अफगानिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को कैसे लाभान्वित करेगा। Why did the government amend the Citizenship Act. How will this benefit the minorities of Pakistan, Afghanistan and Bangladesh.

इस विधेयक से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आये हुए गैर मुस्लिम शरणार्थियों के लिए नागरिकता प्रदान करने के मानदंडों को आसान बनाना है।

नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 विपक्षी दलों के कड़े विरोध को बावजूद लोकसभा और राज्यसभा से पास हो गया। विपक्षी दल इस बील को असंवैधानिक कह रहे है क्योंकि इसमे तीन पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के मुसलमान शामिल नहीं है। सरकार का कहना है कि यह विधेयक इन देशों में हिंदुओं, सिखों, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों को उत्पीड़न से बचाने का प्रयास करता है। नरेंद्र मोदी की सरकार इस विधेयक के माध्यम से दो दीर्घकालिक उद्देश्यों को प्राप्त करने की उम्मीद रखती है – इन देशों से भारत आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए नागरिकता के मानदंड में ढील दी जाये और साथ ही अवैध प्रवासियों का पहचान, भारत में नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर (NRC) के माध्यम से करके निर्वासित करने के लिए विकल्प खुला रहेगा। भाजपा ने हमेशा ही पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे पड़ोसी देशों से भारत में आने वाले अवैध प्रवासियों के खिलाफ एक मजबूत नीति की वकालत करती रही है। भाजपा इसे राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा के रूप में देखती है। साथ ही पार्टी हमेशा पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके भलाई के बारे में चिंतित रहती है तथा उनके लिए नरम दृष्टिकोण और आसान वीजा मानदंड और नागरिकता नियमों का वकालत करती है।




पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश का संविधान एक विशिष्ट राज्य धर्म प्रदान करता है। फलस्वरूप हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों से संबंधित कई व्यक्तियों को उन देशों में धर्म के आधार पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

भारतीय मीडिया में पाकिस्तान के अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न की कहानियां अक्सर आता रहता है। अल्पसंख्यक समुदायों की लड़कियों के अपहरण, धर्मांतरण और जबरन शादी करने की खबरें आती रहती है। एक हिंदू लड़की रिंकल कुमारी की कहानी, जिसका अपहरण करके एक मुस्लिम लड़के से शादी करवा दिया गया था। इस खबर का देश के मीडिया में व्यापक रूप से चर्चा किया गया था। दो अन्य हिंदू लड़कियां लता और आशा के बारे में भी इसी तरह की खबरें काफी चर्चित हुई थी।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक समुदायों के लड़कियों के अपहरण और जबरदस्ती शादी के बारे में खबरों के अलावा, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका में अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के बारे में भी खबरें आती रहती है। इन अल्पसंख्यकों को भारत में भागने पर मजबूर किया गया।




हिंदू, सिख और ईसाई जैसे धार्मिक अल्पसंख्यकों के उत्पीड़न के बारे में अंतरराष्ट्रीय मीडिया मे भी रिपोर्ट दिखाई देता हैं।

उदाहरण के लिए, जुलाई 2018 में एक आत्मघाती हमलावर ने अफगानिस्तान के जलालाबाद प्रांत में सिख और हिंदू समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाया। इस विस्फोट में मारे गए कुल 18 लोगों में से अधिकांश पीड़ित इन दो समुदायों के थे। गंभीर रूप से घायल कुछ लोगों को इलाज के लिए भारत लाया गया था।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के अलावा, धार्मिक अल्पसंख्यकों को पड़ोसी बांग्लादेश में भी उत्पीड़न और हमलों का सामना करना पड़ता है। अमित शाह ने कहा कि जो अल्पसंख्यक इन देशों में रह रहे है उनमें से कुछ को उत्पीड़न के बारे में आशंका रहता है। वहां उनके धर्म का पालन करने और प्रचार करने का अधिकार बाधित और प्रतिबंधित है।

अमित शाह इन अल्पसंख्यक समुदायों की दुर्दशा के बारे में बताते हुए कहा कि मौजूदा प्रावधानों के तहत ये लोग, जो इन देशों से भागना चाहते थे और भारत में बसना चाहते थे, ऐसे लोगों को अवैध प्रवासी माना गया है और धारा 5 के तहत भारत के नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए अयोग्य थे। इस विधेयक के माध्यम से, मोदी सरकार ऐसे अल्पसंख्यकों को उनके खिलाफ लंबित कानूनी कार्रवाई से बचने या अवैध रूप से देश में रहने से बचाने का प्रयास करती है। जो सुरक्षा और बेहतर जीवन स्थितियों की तलाश में भारत आए हैं इस बील के पास होने से भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने में आसानी हो जाएगा।

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