Jain Muni Tarun Sagar Ji Ka Jeevani Biography जैन मुनी तरुण सागर जी का जीवनी
जैन मुनी तरुण सागर जी महाराज का निधन Jain Muni Tarun Sagar Ji Maharaj died
लंबी बीमारी के बाद शनिवार 01-09-2018 को जैन मुनी तरुण सागर जी का देहांत हो गया। वे 51 वर्ष के थे। तरुण सागर जी पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके में स्थित राधापुरी जैन मंदिर में लगभग 3 बजे सुबह अपना अंतिम सांस लिये। तरुण सागर जी पीलिया से पीड़ित थे। उन्हें एक निजी अस्पताल में लगभग 20 दिन पहले भर्ती कराया गया था । उनका स्वास्थ्य नही सुधर सका। वे पिछले कुछ दिनों से दवा लेना बंद कर दिये थे। उसके बाद उन्हें राधापुरी मंदिर में लाया गया था।
तरुण सागर जी महाराज Tarun Sagar Ji Maharaj
बचपन का नाम : पवन कुमार जैन
जन्म तिथि : 26 जून, 1967
जन्म स्थान : जिला- दमोह (म. प्र.)
माता-पिता : श्रीमती शांतिबाई जैन व श्री प्रताप चन्द्र जी जैन
गृह त्याग : 8 मार्च 1981
दीक्षा : 18 जनवरी 1982 अकलतरा (छत्तीसगढ़)
मुनि- दीक्षा : 20 जुलाई 1988, बागीदौरा (राजस्थान)
गुरु : आचार्य पुष्पदंत सागर जी मुनि
विख्यात : क्रांतिकारी संत
तरुण सागर जी महाराज जैन धर्मं के दिगंबर पंथ के काफी प्रसिद्ध मुनी थे। उनका बचपन से ही अध्यात्म मे मन लगता था। वे पूरे देश में भ्रमण किये। तरुण सागर जी अन्य जैन मुनियों से बिलकुल भिन्न थे। वे अपने क्रांतिकारी प्रवचनो में हमेशा सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करते थे। उनके प्रवचन को सुनने जैन धर्म के लोग तो आते ही थे। बड़ी संख्या में अन्य धर्मो के लोग भी उनके प्रवचन को सुनने के लिए आते थे। तरुण सागर जी अपने प्रवचन के माध्यम से भ्रष्टाचार , हिंसा और रुढ़िवाद का जोरदार विरोध करते थे और उनके बोलने का तरीका ऐसा था, जिस वजह से उनके प्रवचन को ‘कड़वे प्रवचन’ कहा जाता था।
जैन मुनि तरुण सागर जी महाराज का जीवन परिचय Biography Of Tarun Sagar Ji Maharaj
तरुण सागर जी का जन्म 26 जून 1967 को दमोह (मध्य प्रदेश) के गुहंची ग्राम में हुआ था। उनके बचपन का नाम पवन कुमार जैन था। उनके माता का नाम शांति बाई जैन और पिता का नाम प्रताप चन्द्र जैन था। जब श्री पवन कुमार जैन 20 साल के थे तब आचार्य पुष्पदंत सागर ने उन्हें 20 जुलाई 1988 को दिगंबर मुनी बना दिया। जीटीवी पर उनका ‘महावीर वाणी’ कार्यक्रम आता था। उस कार्यक्रम के वजह से वो प्रसिद्ध हुए।
तरुण सागर जी का प्रवचन discourse Of Tarun Sagar Ji
तरूण सागर जी पूरे देश मे भ्रमण करके अपना प्रवचन दिये। उनके बोलने का तरीका ऐसा था, जिससे उनके प्रवचन को कड़वे प्रवचन कहा जाता था।
ज्यादातर जैन साधू राजनीतिक नेताओ से दूर रहते है। लेकिन तरुण सागर जी कई बार नेताओ और सरकारी अधिकरियो से अतिथि के रूप में मिले थे । वे सन् 2010 में मध्य प्रदेश विधानसभा तथा 26 अगस्त 2016 को हरियाणा विधानसभा में अपना प्रवचन दिये थे।
तरुण सागर जी को मिला हुआ पुरस्कार Award for Tarun Sagar Ji
तरुण सागर जी को 2002 मे मध्य प्रदेश और 2003 मे गुजरात राज्य के अतिथि बने थे। इसके अलावा महाराष्ट्र और कर्नाटक में भी राज्य अतिथि के रूप में घोषित किये गये थे। कर्नाटक राज्य में उन्हें क्रन्तिकारी शीर्षक दिया गया था और सन् 2003 में इंदौर (मध्य प्रदेश) मे उन्हें राष्ट्रसंत घोषित किया गया था।
जैन धर्मं के दूसरे मुनी राजनीती से दूर रहते है तथा नेताओ से बात नहीं करते है। लेकिन तरुण सागर जी उन जैन मुनियों से विपरीत थे। वो हमेशा नेताओ की आलोचना या तारीफ करते रहते थे।
तरुण सागर जी के सभी प्रवचन ‘कड़वे प्रवचन’ के नाम से प्रकाशित हुए। उनके प्रवचनों को आठ हिस्सों में संकलित किया गया है। तरुण सागर जी की एक किताब भी प्रकाशित किया कया है। यह किताब खास इसीलिए है क्यों कि इस किताब का वजन 2000 किलों है। किताब की चौड़ाई 24 फीट और लम्बाई 30 फीट है। ऐसी किताब बहुत कम देखने को मिलती है।