कांग्रेस पार्टी के पतन का मुख्य कारण Main Reason for collapse of Congress party
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का गठन सन् 1885 में थियोसोफिकल सोसायटी के ब्रिटिश सदस्यों द्वारा किया गया था। इस पार्टी का मुख्य उद्देश्य भारत के स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करना था। इस पार्टी का नेतृत्व उस समय के प्रसिद्ध वकीलों द्वारा किया गया जिसमें मुख्य रूप से मोहनदास करमचंद गांधी, मोहम्मद अली जिन्ना, भूलाभाई देसाई, जवाहरलाल नेहरू, सरदार बल्लभ भाई पटेल, भीमराव अंबेडकर आदि शामिल थे। भारत के स्वतंत्रता के बाद महात्मा गाँधी कांग्रेस पार्टी को खत्म कर देना चाहते थे। क्योंकि कांग्रेस पार्टी का उद्देश्य आजादी के लिए संघर्ष करना था। लेकिन आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी देश की प्रमुख राजनीतिक पार्टी बन गई।
कांग्रेस के नेतृत्व में, भारत ने 4 युद्ध देखा। जिसमें चीन के साथ युद्ध में अपमानजनक नुकसान और पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में जीत हासिल हुआ। कांग्रेस के समय मे पहला परमाणु परीक्षण, गुटनिरपेक्ष आंदोलन का भारत द्वारा नेतृत्व, आपातकाल, लाइसेंस कोटा राज हुआ इसके बाद 1990 का आर्थिक उदारीकरण और कई क्षेत्रों में भ्रष्टाचार तथा भाई-भतीजावाद भारतीय शासन प्रणाली का एक आदर्श बन गया।
कांग्रेस पार्टी का नया आचार Congress Party’s New Ethics
कांग्रेस पार्टी भारत में गरीबों की राजनीति का आविष्कार किया। और इस नीति को राज्य तंत्र बनाया गया। भारत के उद्योगों को गति देने के बजाय मुफ्त और हाथ से देने में अधिक रुचि रक्खा गया। जिसे माई बाप का सरकार के रूप में जाना जाने लगा।
भारतीय सरकारी नौकरी और विदेशी सामान को अच्छा समझा जाने लगा। भारत देश के निवासी एक ऐसा भी समय देखे जब एक स्कूटर लेने के लिए 6 माह का समय लगता था। टेलीफोन कनेक्शन के लिए 12 महीने का समय लगता था और एक कंप्यूटर लेने के लिए 3 महीने लग जाता था।
कांग्रेस पार्टी एक ऐसा विचार का आविष्कार किया जिसमे अमीरों को बुरी नजर से देखा जाता था और गरीब होना पवित्रता का प्रतीक माना जाता था। सरकारी ढांचा ऐसा बनाया गया कि व्यापारी वर्ग कुछ उच्च और शक्तिशाली लोगों के हाथों में रहे। तथा शेष भारतीयों को नौकरी प्राप्त करने के लिए सपना देखने के लिए मजबूर होना पड़ा। हर आर्थिक गतिविधियों का गहन जाँच हुआ। तथा हर विकास करने वाले को संदेह के दृष्टि से देखा जाने लगा।
वोट बैंक बनाने के लिए कांग्रेस ने भारतीयों के बीच वर्ग विभाजन शुरू किया। धर्म ,जाति और आरक्षण के आधार पर वोट बैंक बनने लगे।
शासन व्यवस्था Administration
वोट बैक की रीजनीति से सरकार धीरे-धीरे पंगु हो गई। निर्णय लेने का क्षमता कम होने लगा। इस पार्टी में निर्णायक भूमिका निभाने के लिए कोई प्रोत्साहन नहीं था। पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक और आंध्र के युवा देश के बाहर काम करने के लिए जाने लगे।
मीडिया का दौर Time Of Media
मीडिया द्वारा सकारात्मक भूमिका निभाने से आम नागरिक संभावनाओं और अवसरों से अवगत हुए। वे बिजली, सड़क और पीने के पानी की बात करने लगे। भारतीय जहां सिर्फ स्वतंत्र होने से खुश थे, बुनियादी सुविधाओं का मांग करने लगे।
पार्टी के नेता सिर्फ अपने निजी स्वार्थ के लिए काम करने लगे। विचारधारा का नुकसान होने लगा। सरकारी परियोजना भी स्वयं के परिवार के नाम नामकरण होने लगा।
चाटुकारिता Sycophancy
चाटुकारिता शुरू होने से वास्तविकता विकृत हो गई। भारत के नेता भारत के लोगों के प्रति जवाबदेह होने के जगह एक परिवार के प्रति जवाबदेह हो गये। स्थानीय नेताओं के वादे को खारिज कर दिया गया। एक समय ऐसा आया जब सरकार के प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह थे। कहने के लिए वे प्रधान मंत्री थे, लेकिन उनके पीछे कोई और था।
आज वही कांग्रेस पार्टी लगभग हर राज्य मे असफलता का मुख देख रही है। केवल कुछ मुख्य लोगों के साथ पार्टी अपना चेहरा बचा रही है। आज, भारतीय मतदाता के पास कांग्रेस पार्टी पर विचार करने के लिए कोई कारण नहीं बचा है। कांग्रेस पार्टी देश की अपेक्षाओं को पूरा करने में विफल रही हैं। कई लोग कह सकते है कि ऐसा राहुल गांधी के वजह से है। लेकिन सच यह है कि आज कांग्रेस पार्टी भारत को पुराने वादों के अलावा कुछ भी नहीं देती है।
आज का भारत Today’s India
आज का भारत मुफ्तखोरी नहीं चाहता है। आज देश को बेहतर प्रशासन, बेहतर सेवा, बेहतर बुनियादी ढांचा और बेहतर काम के अवसरों की जरूरत है। जब कांग्रेस पार्टी इन बुनियादी जरूरतों की पेशकश करेगी। तब भारत की जनता फिर से उनके लिए मतदान करने के लिए सोच सकती है। जाति, धर्म,पंथ और क्षेत्रवाद का समीकरण करना छोड़ना होगा। आज का भारत मुफ्त लैपटॉप, मुफ्त का रू. 6000 महीना, ऋण माफी या व्यर्थ का धरना प्रदर्शन भी नहीं चाहता है। आज का भारत जाति, धर्म और क्षेत्रवाद से अलग हट कर विकास चाहता है।
जय हिन्द। जय भारत।