कुरुक्षेत्र में देखने योग्य स्थान Places to Visit in Kurukshetra
भद्राकाली मंदिर BHADRAKALI TEMPLE
यह मंदिर कुरुक्षेत्र जिले के थानेसर शहर में झांसा रोड पर स्थित है। भद्रकाली, माँ शक्ति का एक रूप है। इस जगह को भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि महाभारत के युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण के साथ पांडवों ने यहां मां दुर्गा की पूजा की थी और महाभारत युद्ध में जीत के बाद, वे फिर यहां पर मां देवी का पूजा किये थे। यह भी माना जाता है कि श्री कृष्ण और बलराम जी का ‘मुंडन’ समारोह इस मंदिर में किया गया था।
ज्योतिसर JYOTISAR
कुरुक्षेत्र से लगभग 12 किमी दूर कुरुक्षेत्र-पेहोवा रोड पर स्थित ज्योतिसर धार्मिक पर्यटन के लिए एक महत्वपूर्ण जगह है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिये थे। यहां के निवासी मानते हैं कि इस जगह पर एक बरगद के पेड़ के नीचे भगवान कृष्ण ने भगवद् गीता का उपदेश दिये थे। यह बरगद अक्षय वट के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह बरगद अमर है।
कल्पना चावला मेमोरियल प्लानेटेरियम KALPANA CHAWLA MEMORIAL PLANETARIUM
कल्पना चावला मेमोरियल प्लानेटेरियम का नाम हरियाणा की बहादुर बेटी कल्पना चावला के नाम पर रखा गया है। यह पेहोवा रोड पर ज्योतिसर के पास स्थित है। खगोल विज्ञान का अनौपचारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए यहां तारामंडल विकसित किया गया है। 24 जुलाई 2007 को हरियाणा स्टेट काउंसिल फॉर साइंस एंड टेक्नोलॉजी द्वारा यहां तारामंडल की स्थापना किया गया था। यहां ब्रह्मांड के बारे में जानकारी की एक विस्तृत श्रृंखला का जानकारी दिया गया है। यहां तारामंडल मे खगोल विज्ञान शो, प्रदर्शनी गैलरी और खगोल पार्क हैं।
भीष्म कुंड, नरकातरी BHISHMA KUND, NARKATARI
यह वह जगह है जहां पितामह भीष्म और अर्जुन का युद्ध हुआ था। इस लड़ाई मे भीष्म के शरीर मे आर पार इतना तीर लगा था कि वे तीरों के शय्या पर लेट गये । भीष्म को पानी पीलाने के लिए अर्जुन धरती पर तीर मारे। वहां से पानी निकल आया। जहां पानी निकला उस स्थान को बाण गंगा या भीष्म कुंड कहा जाता है।
ब्रह्म सरोवर BRAHMA SAROVAR
कुरुक्षेत्र का ब्रह्म सरोवर भगवान शिव को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने इसी भूमि से ब्रह्मांड का रचना किये थे। ब्रह्म सरोवर के नजदीक बाबा नाथ की ‘हवेली और बिड़ला गीता मंदिर हैं। इस सरोवर के आस पास नवंबर के अंत मे और दिसंबर के आरंभ में गीता जयंती का उत्सव मनाया जाता है। ब्रह्म सरोवर पर दीप दान और आरती किया जाता है।
श्री कृष्ण म्यूजियम (संग्रहालय) SHRI KRISHNA MUSEUM
इस संग्रहालय मे भगवान श्रीकृष्ण के पंथ के रहस्य को उजागर किया गया है। यहां महाभारत और भागवत पुराण में वर्णित श्रीकृष्ण के बहुमुखी व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। संग्रहालय में छह दीर्घाएं हैं। प्रत्येक ब्लॉक में तीन हैं। डिस्प्ले पर पत्थर की मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन , कांस्य कास्टिंग, लघु चित्र और टेराकोटा की कलाकृतियां प्रदर्शित की गयी हैं। इस संग्रहालय का विस्तार भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय के सहयोग से हरियाणा पर्यटन विभाग द्वारा किया गया है।
कुरक्षेत्र पैनोरमा और विज्ञान केंद्र KURUKSHETRA PANORAMA AND SCIENCE CENTRE
यह एक अद्वितीय केंद्र है जो विज्ञान को धर्म से जोड़ता है। इस केंद्र का मुख्य आकर्षण कुरुक्षेत्र की लड़ाई का एक जीवन्त पैनोरमा है जो युद्ध के हर घटना को वैज्ञानिक स्पष्टीकरण के साथ महाभारत युद्ध का प्रदर्शन है। यह केंद्र शानदार दो मंजिला इमारत के रूप मे है। इस इमारत का दीवार बेलनाकार है। केंद्र में हेरिटेज इन साइंस, टेक्नोलॉजी एंड कल्चर’ नाम से एक प्रदर्शनी है, जिसमें पदार्थों के गुण, अंकगणितीय नियम, परमाणु की संरचना, ज्यामिति, खगोल विज्ञान, दवा और सर्जरी की प्राचीन भारतीय अवधारणा का प्रदर्शनी हैं।
शेख चिली का दरगाह SHEIKH CHILLI TOMB
यह दहगाह 17 वीं शताब्दी का बना हुआ कुरुक्षेत्र के थानेसर, बारी मोहल्ला मे हैं।
यह खूबसूरत मकबरा और मदरसा (विद्यालय) सूफी संत अब्दुर-रहीम का है। जिन्हे शेख चिल्ली भी कहा जाता है। अब्दुर-रहीम को सम्राट शाहजहां के सबसे बड़े पुत्र राजकुमार दारा शिकोह का आध्यात्मिक गुरू माना जाता है। थानेशर के सन् 1854 के तत्कालीन कलेक्टर जॉन डॉकिन्स ने मकबरे की मरम्मत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये थे। हर्ष का टिला और भगवानपुरा में खुदाई से प्राप्त प्राचीन वस्तुओं को यहां मदरसा इमारत के दो छोटे संग्रहालयों में प्रदर्शित किया गया है।
प्राचीन टीला अमीन ANCIENT MOUND AMIN
गांव का नाम अमीन अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु से लिया गया है। इस गांव के प्राचीन साइट को अभिमनुखेरा कहा जाता है। यह जगह कौरवों द्वारा पांडवों से लड़ने के लिए आयोजित चक्रव्यूह की जगह है।अभिमन्यु इस चक्रव्यूह में फंस गए थे और महाभारत युद्ध के दौरान मारे गए थे। एक टीला के आकार का यह प्राचीन जगह 650 x 250 मीटर के क्षेत्रफल मे है। इस जगह की अधिकतम ऊंचाई 10 मीटर है।
डेरा बाबा गरीब नाथ DERA BABA GARIB NATH
यह जगह पेहोवा मे है। यहां राजा भोज के समय से संबंधित एक शिलालेख है। गरीब नाथजी गुरू गोरखनाथ जी के शिष्य थे। यह डेरा नाथ पंथी योगियों के कब्जे में हैं। इस डेरा के पास ही काल भैरव मंदिर स्थित है।
बोध स्तूप, आसन्द BODH STUPA, ASAND
हरियाणा के सबसे पुराने स्मारको के अवशेषों में से एक असंद में है। यह एक विशाल, उच्च तथा गोल चिनाई वाला बोध स्तूप है, जो प्राचीन काल का बना हुआ है।
धरोहर म्यूजियम DHAROHAR MUSEUM
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर मे धरोहर म्यूजियम (संग्रहालय) मे हरियाणा का सांस्कृतिक , पुरातात्विक, और स्थापत्य विरासत को प्रदर्शित किया गया है। सांस्कृतिक प्रदर्शन के लिए यहां एक ओपन थिएटर भी है।
गुलजारीलाल नंदा इंस्टीच्यूट ऑफ नेशनल इंटेग्रेशन एंड पीस GULZARILAL NANDA INSTITUTE OF NATIONAL INTEGRATION AND PEACE
गुलजारीलाल नंदा कुरुक्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाये है। यह स्थान उनको समर्पित है। भारत के पूर्व प्रधान मंत्री गुलजारिलाल नंदा एक बहुमुखी व्यक्तित्व वाले राष्ट्रीय नेता थे। गांधीजी की सलाह पर, गुलजारीलाल नंदा ने श्रमिक नेता के रूप में अपना करियर शुरू किया तथा मजदूरों और श्रमिकों के लिए काम किये।
सूर्य ग्रहण के अवसर पर वे ब्रह्म सरोवर में पवित्र स्नान करने के लिए कुरुक्षेत्र आये। झील में पानी कम था तथा उनके शरीर पर काफी स्लैश (सैवाल) लग गया था। कुरुक्षेत्र जैसे तीर्थस्थान पर ऐसा होने से वे निराश हुए और कुरूक्षेत्र के लिए कुछ करने के लिए उनके मन मे इच्छा हुआ। वे अगस्त 1968 में कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड की स्थापना किये।
अपने प्रयासों से ब्रह्म सरोवर, पेहोवा सनहाइट सरोवर, ज्योतिसार, पुंड्रिक तीर्थ और कई अन्य स्थानो का नवीनीकरण करवाये। कुरुक्षेत्र के सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक महत्व के बारे में आगंतुकों को जागरूक करने के लिए वे श्रीकृष्ण संग्रहालय का स्थापना किये।
गुरुद्वारा मास्टरगढ़ Gurudwara Mastergarh
यह स्थान शाहाबाद सूरी मार्ग पर अंबाला छावनी से 20 किलोमीटर दक्षिण में शाहाबाद मार्कंडा में स्थित है। कहा जाता था कि मुगल सम्राट शाहजहां ने शहर की मुख्य मस्जिद 1630 में बनाई थी। इसके मीनारों को ध्वस्त करके, निशान साहिब (सिख ध्वज) स्थापित किया गया था और इसके अंदर गुरु ग्रंथ साहिब रखकर गुरुद्वारा में परिवर्तित किया गया था।
भोर सैदां – मगरमच्छ फार्म BHOR SAIDAN – CROCODILE FARM
कुरूक्षेत्र से 22 किलोमीटर दूर पेहोवा-कुरुक्षेत्र रोड पर स्थित भोर सैदां गांव में मगरमच्छ से भरा एक तालाब था। वन विभाग द्वारा यह जगह 1982-83 मे अधिग्रहण करके इसका प्रबंधन और विकास किया गया । मगरमच्छ बैंक, मद्रास से मगरमच्छ के चार जोड़े ला कर यहां छोड़ा गया था। वर्तमान मे इनका संख्या 25 है। टैंक के अंदर करीब से देखने के लिए स्थान बनाया गया है।
कार्तिकेय मंदिर KARTIKEYA TEMPLE
यह मंदिर कुरुक्षेत्र के पश्चिम में 27 किलोमीटर दूर पेहोवा में है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत की लड़ाई में मारे गये 18 लाख योद्धाओं के लिए दो दीपक जलाये। ये दीपक उसी समय से मंदिर मे लगातार जल रहे है।
फरीदकोट के राजा का स्मारक MEMORIAL OF KING OF FARIDKOT
यह पंजाब की रियासत राज्य फरीदकोट के राजा वजीर सिंह के स्मारक के रूप में बनाया गया है। यह दो मंजिला और चौकोर आकार का है। यह सिख वास्तुकला का एक अच्छा नमूना है।
नाभा हाउस NABHA HOUSE
यह महल नाभा रियासत के शाही परिवार द्वारा कुरुक्षेत्र में संनिहित सरोवर के पास 19वीं शताब्दी मे बनाया गया था। कुरुक्षेत्र में धार्मिक प्रदर्शन के दिनों मे शाही परिवार के सदस्यों के रहने के लिए इस महल का उपयोग किया जाता था। इस महल के प्रवेश द्वार पर लकड़ी का दरवाजा सजावटी लौह नाखूनों से भरा हुआ है, जो ब्रिटिश युग के प्रारंभ के वास्तुकला की हिंदू शैली पह आधारित है।
पशुपति नाथ मंदिर PASHUPATI NATH TEMPLE
यह पेहोवा में मराठा व्यवसाय के दौरान बनाया गया एक बड़ा मंदिर है। यहां का शिवलिंग पशुपतिनाथ मंदिर, काठमांडू, नेपाल के शिवलिंग के समान टचस्टोन का है।
पाथर मस्जिद PATHAR MASJID
यह मस्जिद 17 वीं शताब्दी का बना हुआ बारी मोहल्ला में शेख चिल्ली के मकबरे के पीछे है।
पाथर मस्जिद लाल बलुआ पत्थर से बना है । यह मस्जिद अपने मीनारों के लिए प्रसिद्ध है। मस्जिद का छत खंभो पर स्थित है जो नक्काशीदार पुष्प डिजाइनों से सजाया गया हैं।
प्राची शिव मंदिर PRACHI SHIVA TEMPLE
यह मंदिर पेहोवा शहर में सरस्वती नदी के दक्षिणी तट पर 9वीं – 10 वीं शताब्दी का है। इस साइट से पुरातत्व विभाग ने कुछ मूर्तियां एकत्र की हैं। यह मंदिर हरियाणा सरकार के देखरेख मे है।
राजा हर्श का टीला RAJA HARSHA KA TILA
यह जगह थानेसर मे शेख चीली के मकबरे के नजदीक है। यह टीला 10 वीं शताब्दी ईसा पूर्व से 1 शताब्दी तक का है। इस जगह का पुरातात्विक विभाग ने उत्खनन किया था। यह जगह 1km x 750 मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। खुदाई मे प्राप्त अवशेषों से पाया गया कि यहां एक प्राचीन शहर था।
राजा कर्ण का किला RAJA KARNA KA QILA
यह किला थानेसर के दक्षिण-पश्चिम में। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर के नजदीक है। यहां 400 ईसा पूर्व से 300 ईस्वी और मध्य युग का संस्कृति के बारे मे जानकारी मिलती है।
सन्निहित सरोवर SANNIHIT SAROVAR
यह सरोवर पेहेवा रोड पर कुरुक्षेत्र से 3 किमी की दूरी पर स्थित भगवान विष्णु का स्थायी निवास माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति सूर्य ग्रहण के समय श्राद्ध करता है और इस सरोवर मे स्नान करता है, तो वह 1000 अश्वमेघ यज्ञों का फल प्राप्त करता है।
सूर्य ग्रहण के समय तीर्थयात्री इस पवित्र स्थान पर इकट्ठे होते हैं। सिख गुरु भी समय-समय पर इस पवित्र स्थान पर आते थे।
स्थानेश्वर महादेव मंदिर STHANESHWARA MAHADEV TEMPLE
यह मंदिर थानेसर में स्थित है। इस मंदिर के पीछे एक कहानी है कि पांडवों ने महाभारत की लड़ाई में जीत के लिए भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए यहां प्रार्थना किये थे। मंदिर के नजदीक तालाब का पानी पवित्र माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि कुरुक्षेत्र तीर्थ यात्रा इस मंदिर मे आये बिना अपूर्ण रहता है। यह मंदिर पुष्यभूति वंश के राजा हर्षवर्धन के राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।
थानेसर आर्किओलॉजिकल साइट म्यूज़ियम THANESAR ARCHAEOLOGICAL SITE MUSEUM
यह म्यूजियम थानेसर के नजदीक, पुरातात्विक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण जगह है। थानेसर के इतिहास के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए यह स्थापित किया गया है, जो यहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा पुरातात्विक खुदाई से पता चला था। पत्थर और टेराकोटा मूर्तियों, सिक्कों, गहने, अनुष्ठान वस्तुओं आदि कई रोचक चीजें जो खुदाई मे मिली थी, संग्रहालय में एक प्रदर्शनी है जिसमे इन चीजों को प्रदर्शित किया गया है।
विश्वामित्र का टीला VISHVAMITRA KA TILA
यह टीला 9वीं सताब्दी का पेहोवा के बाहरी इलाके में सरस्वती नदी के दक्षिणी तट पर है। इस क्षेत्र में इस तरह का एकमात्र ज्ञात ईंट के मंदिर का अवशेष हैं।
पौराणिक कथा है कि राजा प्रीथु इस शहर के संस्थापक थे। पेहोवा में गुर्जर-प्रतिहार काल के दो शिलालेख पाए गए हैं। एक शिलालेख पर दर्शाया गया है कि इस शहर में तीन विष्णु मंदिर था। विश्वामित्र का टीला साइट में भी एक विष्णु मंदिर का अवशेष मिला है।
वाराणसी में पर्यटन स्थल Tourist Places in Varanasi