शहीद भगत सिंह की जीवनी Biography of martyr Bhagat Singh
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रभावशाली क्रांतिकारियों में भगत सिंह का नाम प्रमुख है। भगत सिंह आज के समय में युवाओ के प्रतीक हैं। भगत सिंह की जयंती के उपलक्ष मे रिज़र्व बैंक ने 5 रुपये के सिक्के जारी किए थे। भगत सिंह, जिन्हे अक्सर ‘युवा आइकन’ कहा जाता है, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सबसे कम उम्र के सेनानियों में से एक थे। उनकी देशभक्ति अंग्रेजों के खिलाफ मजबूत हिंसक विस्फोट तक ही सीमित नहीं था। उनका विचार धर्म से पहले देश था। वे एक परिपक्व और तर्कसंगत दिमाग के धनी थे।
भगत सिंह का व्यक्तिगत जीवन personal Life Of Bhagat Singh
भारत के सबसे प्रमुख क्रांतिकारियों में से एक, भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 19 07 को आज के पाकिस्तान के ललपुर जिले में बंगा गांव में एक सिख परिवार में हुआ था। सरदार किशन सिंह और विद्यावती के तीसरे पुत्र थे। भगत सिंह के पिता और चाचा गदर पार्टी के सदस्य थे।
भगत सिंह पर प्रभाव Influence on Bhagat Singh
वे समाजवाद की ओर बहुत आकर्षित थे। भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (एचएसआरए) के नेताओं और संस्थापकों में से एक थे। भगत सिंह 19 19 के जलियावाला बाग नरसंहार से बहुत दुखी थे। हालांकि उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लिया, लेकिन जब गांधी जी ने चौरी चौरा की घटना के बाद आंदोलन के लिए बुलाए तो वे निराश थे। वे लाहौर के नेशनल कॉलेज में अध्ययन किये। वहीं वे भगवती चरन, सुखदेव और अन्य क्रांतिकारियों के संपर्क में आए। भगत सिंह जल्दी शादी से बचने के लिए घर से भाग गये और संगठन नौजवान भारत सभा के सदस्य बन गये।
भगत सिंह के कार्य Works of Bhagat Singh
भगत सिंह आतंकवाद के व्यक्तिगत कृत्यों के खिलाफ थे और सामूहिक आंदोलन के समर्थक थे। 1928 में, वे प्रसिद्ध क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के संपर्क में आये। फरवरी 1928 में साइमन आयोग की भारत आने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे। इन विरोध प्रदर्शन में लाला लाजपत राय लाठी चार्ज में घायल हो गए थे और बाद में उनकी मौत हो गया। लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए, भगत सिंह ने हत्या के लिए जिम्मेदार ब्रिटिश अधिकारी उप निरीक्षक जनरल स्कॉट को मारने का फैसला किया । लेकिन उन्होंने गलती से सहायक अधीक्षक सॉंडर्स को स्कॉट समझ कर गोली मार दी।
भगत सिंह ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय विधान सभा में एक बम फेंक दिया और उसके बाद उन्हे गिरफ्तार कर लिया गया। भगत सिंह, सुख देव और राज गुरु को उनकी विध्वंसक गतिविधियों के लिए अदालत ने मौत की सजा दी थी। उन्हें 23 मार्च 19 31 को फांसी दी गई थी। भगत सिंह को अभी भी भारत में बड़ी संख्या में युवा लोगों द्वारा युवा आइकन के रूप में देखा जाता है। बलिदान, देशभक्ति और साहस की उनकी भावना कुछ ऐसी चीज है जिसे आने वाले पीढ़ियों द्वारा सम्मानित किया जाएगा और देखा जाएगा।