भारतीय राजनेता आरक्षण के पक्ष में क्यों हैं? Why Are Indian Politicians In Favor Of Reservation?
राजनेताओं द्वारा आरक्षण का पक्ष लेने का मुख्य कारण ‘वोट-बैंक का नीति’ है।
आरक्षण पिछड़े समाजों के उत्थान के उद्देश्य से शुरू किया गया था। लेकिन लगभग 68 वर्षों के बाद भी, तथाकथित समाजों की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है, और आरक्षण विपरीत दिशा में काम कर रहा है।
किसी ने कहावत है कि ‘ यदि आप किसी को एक मछली दिये तो आप उसे आज का खाना दिए और किसी को मछली पकड़ना सिखा दिये तो आपने उसे जीवन भर के लिए खाना दे दिया।
आरक्षण का मूल समस्या यह है कि इसका दुरुपयोग हो रहा है। यह लाखों एससी एसटी और ओबीसी को ऊपर उठने का शॉर्टकट था, जिससे उनके परिवार और समाज तरक्की कर सके।
लेकिन राजनीतिक दलों और नेताओं ने आरक्षण का इस्तेमाल सत्ता पाने और शासन करने के लिए एक उपकरण के रूप में प्रयोग कर रहे है।
भारत में आरक्षण प्रणाली को समाप्त क्यों किया जाना चाहिए। Why should the reservation system be eliminated in India?
- हम चाहते हैं कि आरक्षण के बजाय योग्यता के लिए मौका दें।
- वास्तव में प्रतिभावान लोगों को काम करने का मौका नही मिलता है क्योंकि वे आरक्षित श्रेणी के नहीं हैं।
- आरक्षण समाप्त कर दिया जाना चाहिए नही तो जल्द ही भारत मे जातीय भेदभाव बढ़ जाएगा।
- यदि हमारा संविधान सबका हित चाहता है, तो संविधान मे समानता शब्द को साबित करने के लिए भी आरक्षण समाप्त कर देना चाहिए।
- गरीब छात्रों को आरक्षण के वजाय छात्रवृत्ति दी जानी चाहिए।
- गुणवत्ता और असली प्रतिभा वाले लोगों को अवसर मिलना चाहिए।
- आरक्षण के कारण हम दोषी महसूस कर रहे हैं, क्योंकि अवांछित लोगों को सीटें मिल रही हैं। इस प्रकार हम समानता दिखाने में नाकाम हैं।
- आरक्षण से हमारी शिक्षा प्रणाली भी प्रभावित हो रही है।
- आरक्षण को समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि यह आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के बजाय जातियों से जुड़ा हुआ है। हर जाति मे अमीर और गरीब है।
- आरक्षण देश की एकता को तोड़ता है।
- क्योंकि योग्य आदमी दब जाता है और अयोग्य आदमी ऊपर हो जाता है।
- क्योंकि यदि आरक्षण प्रणाली जारी रहा और अयोग्य आदमी के काम करने से भारत एक विकासशील देश ही रह जाएगा।
- यदि आरक्षण जारी रहा तो “योग्यता के हत्या” का कारण बन जाएगा।
- जनरल वर्ग वाले भी मनुष्य होते हैं। वे अतिरिक्त दिमाग लेकर पैदा नही होते हैं। वो पैदा होते है तो उनके मुंह में चांदी का चम्मच नही होता है।
- आरक्षण के कारण जातिवाद का राक्षस बढ़ रहा है। लोग फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाते हैं और प्रतिभाशाली लोगों की सीटें और छात्रवृत्तियां लेते हैं। यदि योग्य लोगों को आरक्षण मिले, तो भारत तेजी से विकास करेगा। गरीबी और पिछड़ापन जाति को पहचान कर नही आता है।
- योग्य उम्मीदवारों को बराबर का अवसर नही मिलता है।
- आरक्षण के वजह से सामान्य वर्ग के लोग महसूस करते है कि उनके साथ समान व्यवहार नही हो रहा है।
- आरक्षण लागू होने के 68 साल बाद भी, उन्हें आरक्षण की आवश्यकता है। इसका मतलब , वे इसके लायक नहीं हैं। आज के परिवेश मे आरक्षण का उद्देश्य वोट बैंक की रीजनीति है।